अजाक्स संगठन के नव-निर्वाचित प्रांतीय अध्यक्ष और आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा एक विवादित टिप्पणी के कारण विवादों में घिर गए हैं। भोपाल में आयोजित प्रांतीय अधिवेशन के दौरान उन्होंने सवर्ण समाज को लेकर बयान दिया, जिसके बाद सवर्ण संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
इस बयान का वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें वे कह रहे हैं कि एक परिवार में व्यक्ति को आरक्षण मिलना चाहिए, जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं कर दे या उससे संबंध नहीं बना ले, यदि आरक्षण आर्थिक आधार पर देना है तो । उन्होंने आगे कहा कि तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। इस बयान को मंत्रालय सेवा अधिकारी/कर्मचारी संघ ने “अपमानजनक और अस्वीकार्य” बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। रविवार को तुलसीनगर के सेकंड स्टॉप स्थित अंबेडकर मैदान में हुए अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में संतोष वर्मा ने यह बयान दिया था।
ब्राह्मण समाज करेगा आंदोलन
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि वर्मा को तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जाना चाहिए। ब्राह्मण बेटियों के खिलाफ की गई टिप्पणी पर उनके खिलाफ FIR दर्ज होनी चाहिए । मिश्रा ने कहा कि आपराधिक मामला दर्ज नहीं होने और निष्कासित नहीं करने पर ब्राह्मण समाज पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगा।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा कि कर्मचारी संगठन के मंच पर इस प्रकार की बयानबाजी से बचना चाहिए क्योंकि सभी कार्यालयों में सभी जाति और धर्म के लोग साथ मिलकर काम करते हैं। इस तरह के बयान से आपसी मदभेद बढ़ते हैं। आरक्षण देना सरकार का काम है। इसको लेकर कोर्ट में भी मामले चल रहे हैं। ऐसे में आजाक्स के प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा दिए गए बयान की हम निंदा करते हैं।
मंत्रालय सेवा अधिकारी/कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक ने इस बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि विवाह पूरी तरह निजी निर्णय है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने के लिए स्वतंत्र है। नायक ने यह भी कहा कि बेटी कोई वस्तु नहीं कि उसे ‘दान’ दिया जाए। नायक ने यह भी याद दिलाया कि कई प्रसिद्ध दलित नेताओं ने ब्राह्मण समुदाय की महिलाओं से विवाह किए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सविता अंबेडकर से विवाह किया था और रामविलास पासवान ने भी रीना शर्मा से शादी की थी। उनका तर्क था कि समाज अब काफी बदल चुका है और विभिन्न जातियों के बीच विवाह होना सामान्य बात है, इसलिए आरक्षण बहस में ऐसे निजी मुद्दों को शामिल करना अनुचित है।